कुंडली के अनुसार पत्ता लगाएं आपकी मृत्यु (मौत) कब और कैसे होगी? (How to know death date by Kundali in Hindi)
Kundali ke anusar aapki mrityu :- जिसने भी इस धरती पर जन्म लिया है, उसकी मृत्यु होकर रहेगी और जिसकी मृत्यु होती हैं, उसका जन्म भी होना तय है।। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने खुद ही कहा है कि जीवन और मृत्यु का क्रम हमेशा चलता रहता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति की कुंडली में 6ठवां, 8वां और 12वां घर रोग और शारीरिक कष्ट और मृत्यु से संबंधित होता है।
इन सभी बातों से ही व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन मृत्यु का विचार किया जाता है। कुंडली में इन घरों में कौन सा ग्रह होता है, वो भी व्यक्ति की मृत्यु का कारक होता है। आइए हम यहां देखते हैं कि मृत्यु को लेकर ज्योतिषशास्त्र से कुंडली देख कर कैसे पता लगाया जाता है? या कुंडली के अनुसार कैसे पत्ता लगाया जाता हैं कि आपकी मृत्यु (मौत) कब और कैसे होगी?
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कुंडली के अनुसार कैसे पत्ता लगाया जाता हैं आपकी मृत्यु (मौत) कब और कैसे होगी? (Kundali ke dwara jane apni maut)
1. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि व्यक्ति की कुंडली में मंगल 5वें, सूर्य 7वें और शनि अपनी नीच राशि मेष में है, तो ऐसे व्यक्ति की मृत्यु 70 वर्ष की उम्र में होने की संभावना होती हैं।
2. ज्योतिषशास्त्र में पाप ग्रह मंगल, शनि, राहु-केतु और सूर्य को माना गया है। अगर कुंडली का 8वां भाव पाप ग्रह युक्त है, तो इस स्थिति में व्यक्ति की मृत्यु कष्टकारक होने की संभावना होती है। लेकिन अगर 8वां घर शुभ ग्रह से युक्त हैं, तो व्यक्ति बिना किसी रोग के होती है।
3. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न में चंद्रमा होता है और क्षीण सूर्य 8वें घर में स्थित होता है, तो लग्न से बारहवें घर में गुरु और सुखभाव यानी चौथे घर में पापग्रह हैं, तो जातक की मृत्यु दुर्घटना से होने की उम्मीद रहती है।
4. अगर व्यक्ति की कुंडली में लग्न से 8वें या त्रिकोणस्थ सूर्य, शनि, चंद्र और मंगल है, तो ऐसे व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना या फिर किसी दिवार से टकाराकर होने की आशंका होती है।
5. ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार यदि कुंडली में कमजोर चंद्रमा 8वें घर में होता है और इस स्थिति में शनि बलवान होता है, तो आंखों की समस्या से मृत्यु होने की संभावना होती है।
6. ज्योतिष के अनुसार जिस जातक की कुंडली के 8वें घर में जो ग्रह सबसे बलवान दिखता है, उसकी मृत्यु उस ग्रह के धातु के प्रकोप से होने की आशंका रहती है। जैसे सूर्य अष्टम भाव में है, तो अग्नि से, चंद्रमा है तो जल से, मंगल है तो आयुध से, बुध है, तो बुखार से, बृहस्पति है, तो कफ से, शुक्र है, तो क्षुधा और शनि है, तो तृषा रोग से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
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आपकी मृत्यु कब और कैसे होगी? जानें अपनी कुंडली के अनुसार से (kundali ke dwara aap is tarah se patta lagaye apni mrityu)
इस भाव में स्थिति राशि, ग्रह, ग्रहों की दृष्टि और दृष्टि संबंध के आधार पर आसानी से ज्ञात किया जा सकता है कि व्यक्ति कि मृत्यु कब और कहां होगी? कुंडली के अनुसार से। आयु या मृत्यु के संदर्भ में अष्टम भाव का विचार करने के साथ अन्य शुभाशुभ ग्रहों और ग्रह युतियों का संबंध देख लेना भी उचित रहता है। आइए जानते हैं अष्टम भाव में स्थित राशि और ग्रह के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के बारे में...
1. अगर आपकी जन्मकुंडली के अष्टम भाव में सूर्य हो, तो व्यक्ति की मृत्यु अग्नि से होती है। यह अग्नि किसी भी प्रकार की हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से, पेट्रोल-डीजल, गैस, वाहन या अन्य सभी प्रकार की अग्नि।
2. और अगर आपकी जन्मकुंडली के अष्टम भाव में चंद्र हो, तो व्यक्ति की मृत्यु जल से होती है। नदी, तालाब, समुद्र, कुएं, बावड़ी में डूबने से। जल जनित रोगों आदि से मृत्यु होती है।
3. अगर आपकी अष्टम भाव में मंगल हो, तो अस्त्र-शस्त्र, चाकू, छुरी से कटने से मृत्यु होती है। किसी आकस्मिक दुर्घटना में शरीर में अनेक कट लगने से मृत्यु हो सकती है।
4. और अगर जन्मकुंडली अष्टम भाव में बुध हो, तो व्यक्ति की मृत्यु किसी प्रकार के ज्वर, बुखार, संक्रमण, वायरस, बैक्टीरिया आदि से हो सकती है।
5. और अष्टम भाव में बृहस्पति होने पर मृत्यु अजीर्ण, अपच, पेट रोगों से होती है। फूड पॉइजनिंग, खानपान में लापरवाही से होने वाले रोगों से मृत्यु होती है।
6. अष्टम भाव में शुक्र हो, तो व्यक्ति की मृत्यु भूख से होती है। अर्थात् किसी रोग के कारण जातक कुछ खा न पाए या समय पर कुछ खाने को न मिले तो मृत्यु हो सकती है।
7. जन्मकुंडली में अष्टमस्थ शनि हो, तो व्यक्ति की मृत्यु प्यास या पानी की कमी से होती है। ऐसे जातक को किडनी रोग या जल की कमी से होने वाले रोगों के कारण मृत्यु होती है।
8. यदि राहु केतु समेत अनेक ग्रह अष्टम में हो, तो जो ग्रह सबसे ज्यादा बली होता है, उसी के अनुसार मृत्यु समझना चाहिए।
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