हाय दोस्तों,
मैं आपलोग के लिए कुछ मजबूरी शायरी लेकर आए, पता नहीं कभी किसी मजबूरी के कारण अपना हो नहीं पाते हैं। बाद में बहुत ही पछतावा होता है।तो हम कुछ इसी पछतावे के कारण शायरी लिखे हैं।
ये दिल मेरा हैं, लेकिन फिर भी तेरा हैं।
दर्द तुमको होता हैं,तो क्यों रोता दिल मेरा हैं।।
Ye dil mera hai, lekin fir bhi tera hai.
Dard tumko hota hai, to kyo rota dil mera hai...
मैं तो दीवाना तेरा हूं, फिर मैं तेरा क्यों ना बन पाऊ।
जो तू मेरी ना बनी तो मैं जीते जी मर जाऊ।।
Mai to diwana tera hu,
Fir bhi tera mai kyo na ban pau.
Jo tu meri na bani to
Mai jite ji mar jau...
ये दिल से अब बातें क्या करना,
जब ये दिल तेरा ही ना बना।
अब तू मुझसे दूर चला जा,
तेरे बिन अब है अकेले मरना।।
Ye dil se ab bate kya karna,
Jab ye dil tera hi na bana.
Ab tu mujhase dur chala ja,
Tere bin ab hai akele marna...
मैंने तुझसे प्यार किया नहीं,
फिर भी तू मुझसे ही प्यार किया।
जाते - जाते तू ये भी नहीं कहा,
मैं तेरे लिए किस तरह से जिया।।
Maine tujhase pyar kiya nahi,
Fir bhi tu mujhase hi pyar kiya.
Jate- jate tu ye bhi nahi kaha,
Mai tere liye kis tarah se jis...
तू मेरे लिए बहुत कुछ कि
तुझसे अब शिकायत नहीं करना।
सोचे थे कि साथ - साथ जियेगें,
लेकिन अब अकेले ही है मरना।।
Tu mere liye bahut kuchh ki
Tujhase ab sikayat nahi karna.
Soche the ki sath-sath jiyenge,
Lekin ab akele hi hai marna...
खता तो नहीं था मुझसे लेकिन फिर भी मुझे दूर छोड़ गया।
अपना बनाते - बनाते वो खुद किसी का पराया बन गया।।
Khata to nahi tha mujhase lekin fir bhi mujhe dur chhod gaya.
Apna banate-banate vo khud kisi ka parata ban gaya...
मेरे लिए वो ओर हम उसके लिए रोते रहे।
जमाना तो इस प्यार का दुश्मन बने रहे।।
करते तो हम क्या करते,
सब अलग करने का कोशिश करते रहे।।
Mere liye vo or ham uske liye rote rahe.
Jamana to is pyar ka dushman bane rahe...
Karte to ham Kya karte,
Sab alag karne ka koshish karte rahe...
जाने क्या ऎसी मजबूरी थी,
दोनों पास होके भी दूरी थी।
हम दोनों को मिलने ही ना मिला,
जाने क्या ऎसी मजबूरी थी।।
Jane kya yesi majburi thi,
Dono paas hoke bhi duri thi.
Ham dono ko milne hi na mila,
Jane kya yesi majburi thi...
जाने कैसे हो गए वफा बिन किए खता,
जब दिल ने दिल से पूछा तो कहा
कुछ मजबूरी से ही है हुआ।
Jane kaise ho gaya wafa bin kiye khata,
Jab dil ne dil se puchha to kaha
Kuchh majburi se hi hai hua.
मेरी थी वो लेकिन मेरी ना बन पाई।
जाने क्या जो थी इसकी मजबूरी।।
Meri thi vo lekin meri na ban pai.
Jane kya jo thi uski majburi...
Thanks!
मैं आपलोग के लिए कुछ मजबूरी शायरी लेकर आए, पता नहीं कभी किसी मजबूरी के कारण अपना हो नहीं पाते हैं। बाद में बहुत ही पछतावा होता है।तो हम कुछ इसी पछतावे के कारण शायरी लिखे हैं।
Majburi shayari
ये दिल मेरा हैं, लेकिन फिर भी तेरा हैं।
दर्द तुमको होता हैं,तो क्यों रोता दिल मेरा हैं।।
Ye dil mera hai, lekin fir bhi tera hai.
Dard tumko hota hai, to kyo rota dil mera hai...
मैं तो दीवाना तेरा हूं, फिर मैं तेरा क्यों ना बन पाऊ।
जो तू मेरी ना बनी तो मैं जीते जी मर जाऊ।।
Mai to diwana tera hu,
Fir bhi tera mai kyo na ban pau.
Jo tu meri na bani to
Mai jite ji mar jau...
ये दिल से अब बातें क्या करना,
जब ये दिल तेरा ही ना बना।
अब तू मुझसे दूर चला जा,
तेरे बिन अब है अकेले मरना।।
Ye dil se ab bate kya karna,
Jab ye dil tera hi na bana.
Ab tu mujhase dur chala ja,
Tere bin ab hai akele marna...
मैंने तुझसे प्यार किया नहीं,
फिर भी तू मुझसे ही प्यार किया।
जाते - जाते तू ये भी नहीं कहा,
मैं तेरे लिए किस तरह से जिया।।
Maine tujhase pyar kiya nahi,
Fir bhi tu mujhase hi pyar kiya.
Jate- jate tu ye bhi nahi kaha,
Mai tere liye kis tarah se jis...
तू मेरे लिए बहुत कुछ कि
तुझसे अब शिकायत नहीं करना।
सोचे थे कि साथ - साथ जियेगें,
लेकिन अब अकेले ही है मरना।।
Tu mere liye bahut kuchh ki
Tujhase ab sikayat nahi karna.
Soche the ki sath-sath jiyenge,
Lekin ab akele hi hai marna...
खता तो नहीं था मुझसे लेकिन फिर भी मुझे दूर छोड़ गया।
अपना बनाते - बनाते वो खुद किसी का पराया बन गया।।
Khata to nahi tha mujhase lekin fir bhi mujhe dur chhod gaya.
Apna banate-banate vo khud kisi ka parata ban gaya...
मेरे लिए वो ओर हम उसके लिए रोते रहे।
जमाना तो इस प्यार का दुश्मन बने रहे।।
करते तो हम क्या करते,
सब अलग करने का कोशिश करते रहे।।
Mere liye vo or ham uske liye rote rahe.
Jamana to is pyar ka dushman bane rahe...
Karte to ham Kya karte,
Sab alag karne ka koshish karte rahe...
जाने क्या ऎसी मजबूरी थी,
दोनों पास होके भी दूरी थी।
हम दोनों को मिलने ही ना मिला,
जाने क्या ऎसी मजबूरी थी।।
Jane kya yesi majburi thi,
Dono paas hoke bhi duri thi.
Ham dono ko milne hi na mila,
Jane kya yesi majburi thi...
जाने कैसे हो गए वफा बिन किए खता,
जब दिल ने दिल से पूछा तो कहा
कुछ मजबूरी से ही है हुआ।
Jane kaise ho gaya wafa bin kiye khata,
Jab dil ne dil se puchha to kaha
Kuchh majburi se hi hai hua.
मेरी थी वो लेकिन मेरी ना बन पाई।
जाने क्या जो थी इसकी मजबूरी।।
Meri thi vo lekin meri na ban pai.
Jane kya jo thi uski majburi...
Thanks!